क्रांतिकारी कवि
हरि ठाकुर के जनम रायपुर म 16.8.1926 म महान समाज सेवी नेता ठाकुर प्यारेलाल सिंह के कनिष्ठ पुत्र के रूप म होय रहिस। डॉ.देवीप्रसाद वर्मा के सब्द म हरिठाकुर के एक हाथ मा क्रांति के मसाल हे त दुसर हाथ मा निर्मान अउ सृजन के कला। विद्यार्थी जीवन ले ही उन कई क्रांतिकारी संस्था ले जुडे़ रहिन। उन ”राष्ट्र केसरी साप्ताहिक नवज्योति” जइसे पतरीका मन के संपादक रहिन। हरि ठाकुर हर गद्य अउ पद्य म हिन्दी अउ छत्तीसगढी़ म रचना करे हें फिलमघलोक बर गीत लिखे रहीन। उन छत्तीसगढी़ अस्मिता के पहिचान आय हिन्दी म उंकर प्रकासित कृति आय- नये स्वर लोहे का नगर अंधेरे के खिलाफ मुक्ति गीत पौरूष नये संदभो में नए विस्वास के बादल काव्य छत्तीसगढ़ के इतिहास पुरूष छत्तीसगढी़ गौरव गाथा (महाग्रंथ) छत्तीसगढ़ उंकर प्रकाशित रचना अय –
1.जय छत्तीसगढ़ 2.छत्तीसगढी़ गीत अउ कविता 3.सुरता के चंदन 4.सहीद वीर नारायन सिंह (खंड काव्य) 5.धान के कटोरा 6.बानी हे मोला। नंद किसोर तिवारी के सब्द म हरि ठाकुर के कविता मन म सुराज के पहिली संग्राम ह छत्तीसगढी़ कविता के महान उपलब्धि आय।
हरिठाकुर छत्तीसगढ़ राज्य निर्मान के प्रमुख सूत्रधार आय। ए महान सुतंत्रता संग्राम सेनानी दुर्दर्स कवि-लेखक के इंतकाल 3 दिसंबर 2001 म रायपुर म होइस। लेकिन विचारधारा के रूप म हरिठाकुर आज भी तरूण साहित्यकार मन के नस नाडी़ म धड़कत हे।